6 दिन का युद्ध, जिसे 1967 में अरब-इसराइल युद्ध भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना थी जो मध्य पूर्व क्षेत्र में हुई थी। यह युद्ध 5 जून से 10 जून, 1967 तक चला था और इसमें इसराइल ने अपने पड़ोसी अरब देशों के साथ युद्धरत थे – जिनमें इजराइल, इज़राइल द्वारा अधिग्रहण किये गए पश्चिमी तटीय क्षेत्र (पश्चिमी तट), यूरडन, सिनाई प्रांत, और गज़ा प्रांत शामिल थे।
Six day war : 6 दिन का युद्ध
यह युद्ध इसलिए हुआ क्योंकि इसराइल को अपनी सुरक्षा की चिंता थी, और उन्हें अपने पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते हुए तनाव के कारण डर था। इसके परिणामस्वरूप, इसराइल ने पहले ही हमला कर दिया और उन्होंने अपने पड़ोसी देशों की सेनाओं को प्राणहानि किया और विस्तारित कर दिया। इस युद्ध के दौरान, इसराइल ने बड़े ही त्वरितता से कई प्रतिरोधी सेनाओं को मात दी और अपने क्षेत्र को विस्तारित किया।
यह युद्ध भारत, पाकिस्तान, और उनके बीच हुई 1965 की करगिल युद्ध के बाद हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष बढ़ गया था। इस युद्ध में भारत ने इसराइल के साथ सख्तता दिखाई और उन्हें समर्थन दिया।
युद्ध के परिणामस्वरूप, इसराइल ने विजय प्राप्त की और उन्होंने पश्चिमी तटीय क्षेत्र, यूरडन, सिनाई प्रांत, और गज़ा प्रांत को अपने नियंत्रण में कर लिया। यह युद्ध इसराइल-अरब संघर्ष के नए पहलु को खोलने का कारण बना और उसके बाद के समय में इस क्षेत्र में और भी बड़े संघर्षों की ओर एक पहला कदम रखा।
यह युद्ध भारतीय संबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण था। भारत ने इसराइल के साथ उनके संघर्ष में समर्थन दिखाया था, जो उनके बीच मित्रता को मजबूती देने में मददगार साबित हुआ।
6 दिन के युद्ध के परिणामस्वरूप, इसराइल ने विशाल संघर्ष क्षेत्र की विस्तारित सीमाएँ अपने नियंत्रण में कर ली और उनकी राजनीतिक और सुरक्षा मानसिकता में बड़ी परिवर्तन हुआ। यह युद्ध बाद में अनेक संघर्षों की भूमिका निभाया, जिनमें 1973 के योम किपुर युद्ध भी शामिल था, जिसमें अरब देशों ने इसराइल पर हमला किया था।
6 दिन के युद्ध (six day war) ने इसराइल और अरब देशों के बीच के संघर्ष की मातृका को नए दिशानिर्देश दिए और मध्य पूर्व क्षेत्र में बीच सदी के बाद भी समस्याओं को बढ़ने दिया। यह युद्ध एक महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना रहा है, जिसकी यादें आज भी विश्व में बनी हुई हैं।