New born baby massage : नवजात शिशु बहुत नाजुक होता है इसलिए उसकी देखभाल में और भी ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। न्यूबॉर्न बेबी के अंग बहुत कमजोर होते हैं और उसे काफी संभलकर गोद में लेना पड़ता है। शिशुओं की मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने के लिए अक्सर लोग मालिश करते हैं लेकिन उन्हें ये पता नहीं होता है कि न्यूबॉर्न बेबी की मालिश करनी चाहिए या नहीं।अगर आपके भी न्यूबॉर्न बेबी है और आप उसकी मालिश करने की सोच रहे हैं, तो इस आर्टिकल में जयपुर के पेंगुइन पीडियाट्रिक केयर एंड इटरनल हॉस्पीटल में कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉक्टर विवेक शर्मा बता रहे हैं कि नवजात शिशु की मालिश करनी चाहिए या नहीं। इसे जानकर आपको अपने न्यूबॉर्न बेबी की केयर में काफी मदद मिल सकती है।
New born baby massage – न्यूबॉर्न बेबी की मालिश
न्यूबॉर्न बेबी को भी मालिश करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं। बस आपको बहुत हल्के हाथ से बेबी की मसाज करनी है। प्रीमैच्योर और लो बर्थ वेट बेबी जेंटल रबिंग या स्ट्रोकिंग पर अच्छा रिस्पॉन्स करते हैं।
वहीं अगर आपका बेबी जन्म के बाद एनआईसीयू में रहा हो, तो आपको उसे लाड करने और गोद में उठाने का मौका नहीं मिल पाता है। एनआईसीयू से निकलने के बाद मसाज की मदद से आप अपने बच्चे के करीब आ सकते हैं।
क्या फायदा होता है?
मसाज करने से बेबी का वजन बढ़ने में मदद मिलती है। तेल मालिश करने से ये फायदा ज्यादा होता है। मालिश की मदद से बेबी की ब्रेन एक्टिविटी, ब्रीदिंग और हार्ट रेट संतुलित होता है। यह स्ट्रेस हार्मोंस को कम करता है और बेबी को अच्छी और गहरी नींद दिलाता है।
कब करें मालिश?
बेबी की मालिश के लिए सही समय पता करना और पहली बार मसाज करने में थोड़ी हिचक महसूस हो सकती है। जब बेबी स्ट्रोक मसाज देने पर अच्छा रिस्पॉन्स करता है, तो आप मालिश को आगे बढ़ा सकते हैं। आप नर्स और डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं कि आपका बेबी मालिश के लिए तैयार है या नहीं।
ये चीजें निकाल दें
मालिश शुरू करने से पहले अपनी घड़ी और हाथों या कलाई में पहनी गई कोई भी ज्वेलरी निकाल दें। अपने हाथों को अच्छी तरह से वॉश करें। इससे बेबी को इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। धीरे-धीरे मालिश करें और शुरुआत में कम देर तक की मसाज करनी है। आप जेंटल स्ट्रोकिंग मूवमेंट से मसाज कर सकते हैं। Baby massage के बारे में क्या राय देते हैं डॉक्टर
प्रीमैच्योर बेबी
प्रीमैच्योर बेबी अपने आप मूव नहीं कर सकते हैं इसलिए उसके हाथ-पैरों को बड़े आराम से उठाना और मसाज करनी चाहिए। इससे बच्चों के हाथ-पैरों को मजबूती मिलती है। मसाज की मदद से आपका और बेबी का बॉन्ड भी मजबतू हो सकता है। जब बेबी के लिए मसाज पूरी हो जाती है और उसे और मालिश की जरूरत नहीं होती है, तो वो जम्हाई लेकर, छींक कर या हिचकी से आपको ये संकेत दे सकता है कि अब उसे और मालिश की जरूरत नहीं है। इसके बाद आपको बेबी की मसाज रोक देनी चाहिए।