Gulam vansh : मुहम्मद गौरी विजित प्रदेशों को अपने गुलामों को सौंप कर भारत से लौट गया| कुतुबुद्दीन ऐवक, गौरी के गुलामों में से एक था जो गौरी के मृत्यु के बाद लाहौर के स्थानियें लोगों के कहने पर दिल्ली की गद्दी पर बैठा| पर यह इतना आसान नहीं था क्योंकि गौरी के पास कुतुबुद्दीन ऐबक, नसीरुद्दीन व कुबाचा जैसे कई गुलाम था| उन गुलामों में से एक गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को गद्दी पर बैठने के कारण गुलामों में बीच संघर्ष शुरू हो गया|
गुलामों में से नासिरुधीन कुबाचा और ताजरुद्दीन याल्दौज से ऐबक को हमेशा खतरा रहने के कारण ऐबक, लाहौर को राजधानी बनाया ताकि वह अपने चाहने वाले लोगों के ही बीच रह सके| कुतुबुद्दीन ऐबक एक गुलाम था अतः इसके द्वारा स्थापित वंश को गुलाम वंश (gulam vansh) कहा गया और इस वंश के जितने भी शासक हुए वह किसी न किसी के गुलाम थे|
गुलाम वंश – Gulam vansh (1206 – 10 ई०)
1206 ई० से 1290 ई० तक दिल्ली पर गुलाम वंश (gulam vansh) का शासन रहा| ऐबक को भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक माना जाता है, यह दिल्ली का प्रथम तुर्क शासक था पर सुल्तानों में ऐबक को छोड़कर सभी सुल्तान तुर्की के इल्बारी जनजाति से संबंधित था|प्रारंभ में गौरी के बड़े भाई गियासुद्दीन महमूद, शुरुआत में ऐबक को सुल्तान के रूप में स्वीकार नहीं किया लेकिन अंततः स्वीकार कर 1208 ई० में दासता से मुक्त कर दिया| गियासुद्दीन महमूद, ऐबक को दासता से मुक्त करते हुए प्रतीक के रूप में एक पत्र भेजा, इस सम्मान (दास मुक्ति पत्र) को लाने वाले हसन निजामी थे, हालाँकि मुक्त होने के बाद भी ऐबक कभी भी सुल्तान की उपाधि धारण नहीं की बल्कि ‘मालिक’ और सिपहसालार की ही उपाधि रखी|
ऐबक की दयाशीलता और उदारता के कारण इस लाख्बख्श अर्थात लाखों का दान देने वाला तथा हाथियों का देने के कारण पीलबख्श कहा गया| एबेक ने ताज-उल मासिर के लेखक हसन निजामी व अदब-उल-हर्ब के लेखक फख्र-इ-मुदब्बिर को संरक्षण दिया|
कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में
कुतुबुद्दीन ऐबक क़ुतुब जनजाति का एक तुर्क था, तुर्क भाषा में ऐबक का अर्थ होता है “चन्द्रमा का स्वामी” ऐबक को फारसी काजी फ़रुख्रुद्दीन (अब्दुल अजीज कुकी) ने ख़रीदा था| ऐबक कुराना को अच्छी स्वर में पढता था, इसलिए ऐबक ‘कुरान खां’ के नाम से भी प्रसिद्ध हो गया| काजी के मृत्यु के बाद ऐबक को गौरी ने गजनी ख़रीदा लिया, गौरी ने इसकी क्षमताओं को देखकर आमिर-ए-आखुर (अस्वतल को देखभाल करने वाला) का पद दिया| और गौरी तराइन के द्वितीय युद्ध (1192 ई०) के बाद ऐबक को भारतीय प्रदेशों का सूबेदार बनाया|
कुतुबुद्दीन ऐबक जगनी के ताजुद्दीन याल्दोज की पुत्री से विवाह किया, ऐबक अपनी बहन का विवाह सिंध के नासिरुद्दीन कुबाचा से किया, ये दोनों ताजुद्दीन याल्दोज और नासिरुद्दीन कुबाचा गौरी के गुलाम था| ऐबक ने अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश से किया और इल्तुतमिश को सर-ए-जादार व आमिर-ए-शिकार का पद दिया| 1197 ई० में अन्हिलवाड के युद्ध के बाद इल्तुतमिश को ऐबक ने खरीद लिया|
अढाई दिन का झोपड़ा
अजमेर स्थित चौहान वंशी शम्रत विग्रहराज चतुर्थ संस्कृत विद्यालय को तोड़कर “अढाई दिन का झोपड़ा” मस्जिद का निर्माण करवाया| इस इमारात पर आज भी संस्कृत नाटक ‘हरिकेली’ के कुछ अंश अंकित है|
बिहार व बंगाल पर आक्रमण
ऐबक के अधिकारी बख्तियार खिलजी ने भर और बंगाल पर आक्रमण किया और नालन्दा स्थित नालन्दा विश्वविद्यालय को नष्ट कर हजारों दुर्लभ पांडुलिपियाँ जला दी| आक्रमण से समय बंगाल पर सेन वंशी शासक लक्षमण सेन का शासन था अतः इन क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया और लखनौती को राजधानी बनाया| अली मर्दान खां, बख्तियार खिलजी हत्या कर दी अंत में ऐबक बंगाल में कैमाजरुमी को भेजा जिसने अली मर्दान खां को बंगाल का सूबेदार नियुक्त कर बंगाल को दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना लिया|
उपलब्धि
ऐबक की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी की इसने गजनी से संबंध विच्छेद कर भारत को उसके प्रभाव से मुक्त रखा| वजीर पद का प्रचालन ऐबक के काल में हुआ था, फख्र ए मुदव्विर ऐबक का पहला वजीर व भरात का पहला मुस्लिम राजनितिक विचारक बना|
प्रसिद्ध सूफी संत ‘ख्वाजा बख्तियार काकी’ के नाम पर कुतुबमीनार की नींव रखी जिसे बाद में इल्तुतमिश पूरा करवाया| कुतुबमीनार इसके पहले मंजिल का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के काल में, 2-4 वें मंजिल का निर्माण इल्तुतमिश के काल में तथा 5वें मंजिल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक के काल में हुआ| कुतुबुद्दीन ऐबक ने राय पिथौरा के निटक शहर बसाया जोकि मध्यकाल में निर्मित दिल्ली के सात शहरों में प्रथम शहर था|
मृत्यु
1210 ई० में लाहौर में चौगान (पोलो) सलते समय घोड़े से गिर जाने के कारण ऐबक की मृत्यु हो गयी और इसे लाहौर में दफनाया गया| ऐबक के मृत्यु उपरांत 1210 ई० ऐबक पुत्र आरामशाह दिल्ली की गद्दी पर बैठा|
अन्य मुख्य तथ्य
- इस वंश के जितने भी प्रमुख शासक हुए वह सभी किसी ना किसी का गुलाम था|
- ऐबक ने मालिक और सिपहसलार की उपाधि धारण किया|
- इसे लाख बक्स (लाखों का दान देने वाला) कहा गया|
- कुतुबमीनार, ढाई दिन का झोपड़ा, और कुब्बत-उल-इस्लाम मस्जिद
- कुब्बत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण लगभग 27 विष्णु मंदिरों व जैन मंदिरों को तोड़कर बनबाया था|
- ऐबक को भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक माना जाता है|
इतिहासकर हबीबुल्लाह इसे ‘मामलुक’ कहा जोकि की अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘स्वतंत्र माता-पिता से उत्तपन संतान’