Alauddin khilji ka uttar bharat abhiyan : अलाउद्दीन खिलजी बनने के बाद गुजरात अभियान खिलजी का पहला अभियान था| उलूगा खां व नुसरत खां राजधानी अन्हिलवाड (पाटन) को लुटा और गुजरात को दिल्ली सल्तनत का एक प्रान्त बन गया| इस युद्ध में गुजरात के बाघेल शासक कर्ण द्वितीय अपनी पुत्री देवल देवी के साथ देवगिरी में शरण ले ली| जबकि कर्ण द्वितीय की पत्नी कमला देवी आक्रमणकारियों के हाथ लगा बाद में अलाउद्दीन खिलजी उससे विवाह कर “मल्लिका-ए-जहाँ” की उपाधि दी|
गुजरात विजय के दौरान अलाउद्दीन खिलजी के सेना नायक नुसरत खां, धर्म परिवर्तन कर हिन्दू से मुसलमान बने मलिक काफूर (हिजड़े) को हजार दीनार में खरीद लिया| इस कारण मलिक काफूर को “हजार दिनारा’ कहा जाता है| मलिक काफूर गुजरात (कैम्वे) का रहने वाला था, यह अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण भारत अभियान का सेनापति था| इसी अभियान के दौरान मालिक काफूर, अलाउद्दीन खिलजी से मिला| बाद में मलिक काफूर को मालिक नाइब एवं वजीर नियुक्त किया|
Alauddin khilji ka uttar bharat abhiyan
मालवा अभियान (1305 ई०) : –
1305 ई० में अलाउद्दीन के सेनापति आइन-उल-मुल्क मालवा (मांडू) को जीता और सल्तनत सीमा व्यास नदी से सिन्धु नदी तक फ़ैल गई| इस दौरान मालवा शासक महलक देव तथा सेनापति हरनन्द कोका था|
रणथम्भौर अभियान (1301 ई०) : –
इस आक्रमण का मुख्य कारण रणथम्भौर शासक हम्मीर देव द्वारा मंगोल सेनापति मुहम्मद शाह एवं केहबू को शरण देना माना जाता है| 1301 ई० में नुसरत खां व उलुगा खां के नेतृत्व में हुए रणथम्भौर पर आक्रमण किया| अलाउद्दीन खिलजी ने हम्मीर देव के मंत्री रणमल और रतिपाल को अपने पक्ष में मिलाकर रणथम्भौर पर अधिकार कर लिया| युद्ध में हम्मीर देव अपने भाई वीरम के साथ मारा गया और हम्मीर देव की पत्नी रानी रंगदेवी जौहर कर ली|
इसी आक्रमण के दौरान ही खिलजी का प्रमुख सेनापति नुसरत खां भी मारा गया| अमीर खुसरों इस आक्रमण के दौरान मौजूद था| खुसरो तारीख-ए-अलाई (खजाइन-उल-फुतूह) में इस जौहर का वर्णन किया| फारसी साहित्यों में जौहर का पहला वर्णन है| रणथम्भौर आक्रमण का उल्लेख जोधराज हम्मीर रासो तथा नयनचन्द्र की पुस्तक हम्मीर महाकाव्य में किया गया है|
चितौड़गढ़ (1303 ई०) : –
अलाउद्दीन खिलजी 1303 ई० में चितौड़गढ़ को जीता और चितौड़गढ़ का नाम अपने पुत्र खिज्र खां के नाम पर खिज्राबाद रखा| इससे पहले किसी भी सुल्तान ने चितौडगढ़ का नहीं जीता सका था| गोरा एवं बादल रतन सिंह के दो प्रसिद्ध सेना नायत थे जो इस युद्ध में मारे गए व पत्नी रानी पद्मवती जौहर कर ली|
जालौर : –
जालौर शासक कान्हड़ देव के विरुद्ध खिलजी अपनी नौकरानी गुले बिहिश्त के नेतृत्व में सेना भेजी बाद में कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में सेना भेजी| कमालुद्दीन गुर्ग ही जालौर विजय का सेनापति था| अलाउद्दीन खिलजी, कमालूद्दीन गुर्ग को जालौर का प्रवेश द्वारा कहे जानेवाले सिवाना का सूबेदार नियुक्त किया| सिवाना का नाम बदलकर खैरवाद रखा| कमालुद्दीन गुर्ग 1315 ई० में हुए गुजरात विद्रोह के दौरान मारा गया| कमालुद्दीन गुर्ग का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था तथा गुर्ग का अर्थ है – भेड़िया| जालौर को जीतकर इसका नाम जलालाबाद रखा|