खिलजी का दक्षिण भारत अभियान | Alauddin khilji ka dakshin bharat abhiyan

Alauddin khilji ka dakshin bharat abhiyan : लुट-पाट व धन प्राप्ति के उदेश्य से दक्षिण भारत की ओर बढ़ा| अलाउद्दीन खिलजी दक्षिण के राज्यों में अधिराजस्व की नीति को अपनाया ना की प्रभुसत्ता की| अर्थात दक्षिण के राज्यों को जीतकर दिल्ली सल्तनत में नहीं मिलाया वल्कि केवल अधीनता स्वीकार करवाई एवं राजस्व अर्जित किया| मलिक काफूर दक्षिण विजय अभियान का सेनापति था, इनके नेतृत्व में विन्ध्याचल को पार करने अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का पहला सुल्तान था|

Alauddin khilji ka dakshin bharat abhiyan

वारंगल : –

अलाउद्दीन खिलजी 1303 ई० में दक्षिण भारत का पहला आक्रमण मालिक छज्जू के नेतृत्व में वारंगल के काकतीयवंशी शासक प्रताप रूद्र देव (लहर देव) पर किया तथा दूसरा आक्रमण मलिक काफूर के नेतृत्व में 1308 ई० में किया| द्वितीय युद्ध के बाद वारंगल शासक, प्रताप रूद्र देव सोने की मूर्ति बनाकर उसमे कोहिनूर हीरे (गोलकुंडा से प्राप्त) की माला डालकर मलिक काफूर को उपहार स्वरूप दे दी तथा खिलजी की अधीनता स्वीकार कर वार्षिक राजस्व देने लगा|

देवगिरी : –

अलाउदीन खिलजी दक्षिण भारत का पहला सफल आक्रमण 1306-07 ई० में मलिक काफूर में नेतृत्व रामचंद्र देव शासित क्षेत्र राज्य देवगिरी पर किया| रामचंद्र देव पराजय की बाद अलाउदीन खिलजी से संधि कर लिया| इस संधि अनुसार रामचंद्र देव एलिचपुर की आय प्रतिवर्ष दिल्ली भेजना का बाद किया किन्तु अधीनता स्वीकार नहीं की और कुछ वर्ष बाद एलिचपुर के आय भी भेजना बंद कर दिया| 1313 ई० में देवगिरी पर पुनः आक्रमण कर रामचन्द्र देव के पुत्र शंकर देव (सिंहलदेव) की हत्या कर हरपाल देव को गद्दी पर बैठाया|

अलाउद्दीन के आदेश पर मलिक काफूर रामचंद्र देव को बंदी बनाकर दिल्ली ले गया| दिल्ली में रामचंद्र देव को सम्मान पूर्वक व्यावहार किया गया और राय रायन की उपाधि दी गई| इसके अलावे 6 महीने बाद 1 लाख सोने का टंका और नवसारी का किला भी रामचंद्र देव दिया गया हालाँकि आगे चलकर रामचंद्र देव में दिल्ली की अधीनता भी स्वीकार कर लिया| बतादें की 1308 ई० में खिलजी के गुजरात अभियान के दौरान गुजरात शासक कर्ण बघेल पहले युद्ध करता है किन्तु बाद में देवगिरी में शरण ले लिया| उस समय देवगिरी का शासक रामचंद्र देव था|

होयसल : –

1310 ई० में मलिक काफूर होयसल राज्य पर आक्रमण क्या व बल्लाल तृतीय अलाउद्दीन की अधीनता स्वीकार कर ली साथ ही माबर प्रदेश (पाण्ड्य) के मार्ग की भी जानकारी दी|

माबर प्रदेश (पाण्ड्य) : –

माबर प्रदेश (पाण्ड्य) राज्य में दो भाइयों वीर पाण्ड्य व सुन्दर पाण्ड्य के बीच विवाद था| सुन्दर पाण्ड्य वीर पाण्ड्य के विरुद्ध अलाउद्दीन खिलजी से सहायता मांगी| मलिक काफूर 1311 ई० पाण्ड्य की राजधानी मदुरा पर आक्रमण कर काफी धन लुटा व रामेश्वरम मंदिर को नष्ट कर वहां मस्जिद बनाई| धन की दृष्टि से यह सबसे सफल अभियान था किन्तु सैनिक दृष्टि से असफल रहा क्योंकि पाण्ड्य शासकों ने ना तो भी कर दिया और ना ही कभी अलाउद्दीन खिलजी की अधीनता स्वीकारी|

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