अलाउद्दीन खिलजी के समय हुए प्रमुख विद्रोह

अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर सुल्तान बना था और गद्दी पर कोई खतरा ना हो इसलिए सुल्तान बनते ही जलाउद्दीन फिरोज खिलजी के दोनों पुत्र अर्काली खां और इब्राहीम हत्या करवा दिया| कारण खिलजी के विरोध में स्वर उठने लगें| विरोधी पक्ष भी मजबूत थी अतः विरोधियों को शक्तिहीन करने के हेतु मंत्रियों को इसके पीछे का कारण जानने को कहा| मंत्रियों ने इस विरोध के पीछे निम्न कारणों को बताया|

  • राजा की गतिविधियों के बारे में जनता को जानकारी नहीं होना
  • जनता के बीच अधिक संसाधन
  • अमीरों व मालिकों के बीच घनिष्ट संवंध
  • मधपान

भविष्य में कोई बड़ा विद्रोह ना हो इसलिए अलाउद्दीन खिलजी चार अध्यादेश जारी किया जो निम्न था : –

  1. अमीरों की संपत्ति, धर्मी व भूमि अनुदान जब्त करना
  2. अमीरों के आपसी मेल-मिलाप और उत्सवों पर रोक व आपसी विवाह से पूर्व सुलतान से अनुमति लेना जरुरी|
  3. दिल्ली में मध्य निषेध|
  4. गुप्तचर प्रणाली का गठन|

अध्यादेश के बावजूद भी अलाउद्दीन खिलजी के परवर्ती के कारण इसके शासनकाल में बहुत सारे विद्रोह हुए – नवीन मुसलमानों (मंगोल) का विद्रोह, अकत खां का विद्रोह, अवध सूबेदार मंगू का विद्रोह, बदायूं सूबेदार मालिक उमर का विद्रोह, हाजी मौला का विद्रोह आदि|

विद्रोहों में नवीन मुसलमानों (मंगोल) का विद्रोह का सबसे पहला व प्रमुख विद्रोह था| नवीन मुसलमानों (मंगोल) ने किया जो जलालुद्दीन खिलजी के समय धर्म परिवर्तन का मुसलमान बना|

अलाउद्दीन खिलजी की सेना 1299 ई० में गुजरात विजय कर नुसरत खां के नेतृत्व में लौट रही तो सेना में अचानक से विद्रोह कर दिया| इस विद्रोह में अलाउद्दीन खिलजी व नुसरत खां के भाई को मार डाला| इस विद्रोह को नुसरत खां बड़ी ही क्रूरता से दबा दिया| इस क्रूरता के बारे में बरनी तथा इसामी ने लिखा है की अलाउद्दीन ने एकही दिन में बड़ी संख्या में नवीन मुसलमानों (मंगोल) को क़त्ल करवा दिया, नवीन मुसलमान मंगोल थे जो जलाजुद्दीन खिलजी के समय धर्मांतरण कर मुसलमान बनें थें|

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