हड़प्पा नगर तथा हड़प्पा से प्राप्त प्रमुख अवशेष

हड़प्पा भारत में खोजा गया पहला और पुराना शहर है, क्योंकी जिस समय इस नगर की खोज की गई थी, उस समय पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा हुआ करता था, वर्तमान में यह पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मोंटगोमरी जिले में स्थित है|

खोजकर्ताचार्ल्स मैसन, 1826 ई०
उत्खननकर्तादयाराम साहनी, 1921 ई०
स्थितिमोंटगोमरी जिला ( पाकिस्तान का पंजाब प्रान्त)
नदीरावी

हड़प्पा के बारे में

हड़प्पा की खोज चार्ल्स मैसन ने वर्ष 1826 ई० में किया| इस स्थल का सर्वेक्षण के बाद वर्ष 1921 में दयाराम साहनी के नेतृत्त्व में हड़प्पा का उत्खनन करवाया गया अतः दयाराम साहनी हड़प्पा के प्रथम उत्खननकर्ता बने, बाद 1926 में माधोस्वरूप वत्स तथा 1946 में मार्टिमर व्हीलर, ने इस स्थल को व्यापक स्तर पर उत्खनन करवाया| इस नगर के उत्खनन के समय जॉन मार्शल ‘भारतीय पुरातात्विक विभाग’ के निर्देशक थे|

प्राप्त अवशेष

नगर के आवासीय क्षेत्र के दक्षिणी भाग से एक कब्रिस्तान मिले हैं जिसे आर-37 या कब्रिस्तान एच नाम दिया गया है इस कब्रिस्तान का उत्ख्नानन जे. एम. केनोयर ने करवाया| यहाँ से शव काष्ट पेटिका (ताबूत) मली है जोकि देवदार की लकड़ी की बनी थी और जो कंकाल मिलें हैं उनमे गठिया या जोड़ो के दर्द की बीमारी पाई गई|

इस नगर का अधिकांश भाग रेलवे लाइन निर्माण के दौराण नष्ट हो गए, हालाँकि इस सभ्यता से शिव की मूर्ति, गरुड़ की मूर्ति, मछुआरे का चित्र ताम्बे की इक्का गाड़ी, कांस्य दर्पण, उर्वरता की देवी, अभिलेख युक्त मुहरें, कतार से बने श्रमिक आवास, सभी घरों से शौचालय के अवशेष इत्यादि का साक्ष्य मिले हैं| हड़प्पा से विशाल अन्नागार के साक्ष्य मिले है जो 6-6 की दो पक्तियों में कुल बारह अन्नागार बने मिले हैं|

पिग्गट ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को सिन्धु सभ्यता की जुडवा राजधानी कहा है और अगर इन दोनों शहरों की दुरी की बात की जाए तो लगभग 640 किलोमीटर है| हड़प्पा को तोरणद्वार का नगर एवं अर्ध औधोगिक नगर कहा गया, इसके पूर्वी टीलें को नगर टीला तथा पक्षिमी टीलें को दुर्ग टीला कहा गया|

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