रजिया सुल्तान को इल्तुतमिश अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था किन्तु मृत्यु के बाद अमीरों ने रुकनुद्दीन फिरोज शाह को गद्दी पर बैठाया हालाँकि वास्तविक सत्ता फिरोज के माँ शाह तुर्कान के हाथों में था जोकि की एक तानाशाह थी| पर राजीय सत्ता पाने के लिए प्रयास जारी रखा पर क्योंकी रजिया एक मुस्लिम महिला था अतः इसके लिए यह सफ़र इतना आसान नहीं था और कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा|
Rajiya Sultan – रजिया सुल्तान
लोगों की सहायता से रजिया अपने भाई रुकनुद्दीन फिरोज को अपदस्त कर दिल्ली की गद्दी पर बैठी| यह पहली बार था जब दिल्ली की जनता ने उत्तराधिकार के प्रश्न पर स्वंय निर्णय लिया| रजिया सुल्तान सत्ता सँभालने वाली प्रथम मुस्लिम महिला शासिका थी| शासिका बनते ही राज्यों विद्रोह हो गया जिसे रजिया सुल्तान ने सफलतापूर्वक दबा दिया| मुस्लिम होने के बाबजूद भी रजिया पर्दा प्रथा को त्याग कर पुरषों की तरह वस्त्र धारण करने लगी जोकि निजी तौर पर इस्लाम धर्म के विरुद्ध था अतः हर तरफ से विरोध का सामना करना पड़ा|
अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए रजिया एतगिन को बदायूं का तथा अल्तुनियाँ को भटिन्डा (ताबहिन्द) का सूबेदार नियुक्त किया| रजिया का लोगों का समर्थन था परन्तु बदायूं, मुल्तान, हांसी व लाहौर के गवर्नर, इल्तुतमिश के समय वजीर रहे मुहम्मद जुनैदी, मालिक अलाउद्दीन जानी, कबीर अयाज खां, मालिक इजुद्दीन सलारी, मालिक सैफुद्दीन कुची विरुद्ध थे| रजिया के समय से सुल्तान और तुर्क अमीरों के बीच संघर्ष शुरू हो गया जोकि बलबन के सत्तारूढ़ तक चला| अल्तुनियाँ ने विद्रोह कर दिया जिसका लाभ उठाकर अमीरों ने रजिया के भाई मुईनुद्दीन बहराम शाह को दिल्ली के गद्दी पर बैठा दिया|
अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करने के लिए अल्तुनिया नामक एक तुर्क व्यक्ति से शादी की किन्तु रजिया को इसका कोई खास लाभ नहीं मिला| कुछ समय पश्चात अल्तुनिया और रजिया सुल्तान दोनों संयुक्त सेना की सहायता से मुईनुद्दीन बहरामशाह पर आक्रमण किया किन्तु पराजित हो गई| पराजय के बाद मार्ग में ही सभी तुर्कों ने मिलकर अल्तुनिया और रजिया सुल्तान इन दोनों को 1240 ई० में कैथल नामक स्थान पर हत्या कर दिया|