बक्सर का युद्ध की नींव 1757 ई० में हुए प्लासी के युद्ध में हीं रख दी गयी थी क्योंकि प्लासी युद्ध के बाद बंगाल में कंपनी मनमर्जी से काम करने लगी और बंगाल नवाब मीर जाफर भी अंग्रेजों का कठपुतली बनकर काम करता रहा| अतः अंग्रेजों की मनमर्जी बक्सर युद्ध का कारण बना हालाँकि पीछे इसके और भी कई कारण रहें|
बक्सर का युद्ध (23 अक्बटूर, 1764 ई०)
मीर कासिम, मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय व अवध नवाब शुजाउदौला मिलकर सैन्य गठबन्ध बनाया| तीनों की संयुक्त सेना 23 अक्तूबर, 1764 ई० को बक्सर में अंग्रेजी सेना से मुकबला किया| प्रारंभ में अंग्रेजों का नेतृत्व कार्नक कर रहा था किन्तु भाग खड़ा हुआ तब हैक्टर मुनरो अंग्रेजी सेना का नेतृत्व किया| युद्ध के पहले ही अंग्रेजों ने अवध की सेना के असद खां व रोहतास के सूबेदार साहुमन एवं जौनुल को रिश्वत देकर अपनी तरफ मिला लिया| परिणाम स्वरुप अंग्रेज जीत गए और भारत अंग्रेजी सत्ता सर्वोच्च रूप से स्थापित हुई|
1765 ई० में मीर जाफर की मृत्यु के बाद, जाफर की विधवा मुन्नी बेगम के सरक्षण ने अल्प व्यस्क पुत्र न्जमुद्दौला बंगाल का नवाब बना न्जमुद्दौला को नवाब बनाते हुए बंगाल की सुरक्षा के लिए एक अंग्रेजी सेना नियुक्त की गई जिसके खर्च के लिए बंगाल नवाब प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये देने को तैयार हो गया|
नोट – नन्द कुमार ने वारेन हेस्टिंग्स पर मुन्नी बेगम से 3.5 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया| इस आधार पर हेस्टिंग्स पर इंग्लॅण्ड में अभियोग चलाया गया|
बक्सर युद्ध के समय वेन्सिटार्ट बंगाल का गवर्नर तथा राबर्ट क्लाइव भारत का गवर्नल जनरल था, मई 1765 में ही क्लाइव दूसरी बार गवर्नर बनाय गया| 12 अगस्त 1765 ई० में क्लाइव और मुग़ल बादशाह शाह आलम के बीच इलाहाबाद की पहली सन्धि हुई, इसकी शर्ते थी –
- बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी कंपनी को दे दी|
- कंपनी अवध नवाब से छीने गई कदा व इलाहाबाद के जिले मुग़ल बादशाह को वापस सौंप दिया|
- मुग़ल बादशाह शाह आलम, न्जमुद्दौला बंगाल का नवाब स्वीकार|
- बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी के बदले कंपनी ने शाह आलम को प्रतिवर्ष 26 लाख रुपये देना स्वीकारा|
16 अगस्त 1765 ई० में क्लाइव और अवध नवाब शुजाउदौलला के बीच इलाहाबाद की दूसरी सन्धि हुई, इसकी शर्ते थी –
- कंपनी अवध नवाब से छीने गई कदा व इलाहाबाद के जिले मुग़ल बादशाह को वापस सौंप दिया|
- युद्ध की क्षति पूर्ति के लिए कंपनी को दो किस्तों में 50 लाख रुपये दिए|
- बनारस के जागीरदार बलवंत सिंह को नवाब ने उसकी जागीर लौटा दी|
- अपने राज्यों के अंग्रेजों को कर मुक्त व्यापार की सुविधा प्रदान की|
अन्य तथ्य
कंपनी 53 लाख रुपये बंगाल के नवाब को देकर निजामत का अधिकार भी खरीद लिया|
कंपनी को शाह आलम से बंगाल की दीवानी अधिकार लेने की सलाह माणिकचन्द्र दिया था|