भारत में डचों का आगमन

डचों का भारत आगमन किस प्रकार हुआ दरअसल पुर्तगाली भारतीय वस्तुओं को लिस्वन (पुर्तगाली की राजधानी) ले जाते थे जहाँ से डच उन वस्तुओं को यूरोप के बाजारों में बेचते थे अर्थात डचों का व्यपारिक गतिविधियाँ पहले पुर्तगालियों पर ही निर्भर था| इससे अर्जित लाभ से अपने सैनिक शक्ति को मजबूत करने में खर्च करते थे|

डच भी भारत के साथ सीधा व्यापार करना चाहते थे किन्तु भारत में पुर्तगालियों को सीधा चुनौती देना पाना आसान नहीं था इसलिए डचों ने अपनी पहले फैक्ट्री 1596 ईस्वी में इंडोनेशिया के सुमात्रा में स्थापित किया| 1602 ईस्वी में नीदरलैंड की संसद ने एक अधिनियम पारित कर कम्पनी को पूर्वी देशों जिसमे की भारत का भी जिक्र था के साथ 21 वर्षों के लिए व्यापार करने की अनुमति प्रदान की| डच ईस्ट इंडिया कम्पनी या डच संयुक्त कम्पनी ने भारत में फैक्ट्री स्थापित करने के लिए डच सेना नायक वाटर हेवा ने सूरत तथा मालाबार पर आक्रमण किया किन्तु असफल रहा|

डचों का भारत्त आगमन

1605 ईस्वी में मसुलिपतनम को अपने अधीन कर भरता में पहली डच फैक्ट्री स्थापित किया कम्पनी की शुरुआत लागत 6500 गिल्डर (नीदरलैंड की मुद्रा) थी साथ ही पहली दुर्ग ‘गोल्ड्रिया’ का निर्माण करवाया| 1663 ई० में पुर्तगालियों को पराजित कर डचों कोच्ची में ‘फोर्ट विलियम’ का निर्माण करवाया| पुर्तगालियों के नीति के कारण भारतीयों के साथ अच्छा संबंध नहीं था अतः डचों ने कम समय से अधिक सफलताएं प्राप्त कर लिया|

  • 1610 पुलिकट
  • 1616 सूरत
  • 1641 विशाखापत्तनम
  • 1645 कराईकल
  • 1653 चिनसुरा
  • 1658 कासिम बाजार
  • 1658 पटना
  • 1658 बालासोर
  • 1659 भागपट्टी
  • 1663 कोचीन

इनके अलावे भारत के आस पास के क्षेत्रों में भी अधिकार किया|

  • 1605 अम्बोयाना
  • 1619 मसाला द्वीप (इंडोनेशिया)
  • 1658 सीलोन (श्रीलंका)
  • 1641 मलक्का

डचों का व्यापार

नील, शोर, रेशम, शीशा, अफीम, मसाला, सूती वस्त्र डचो का मुख्या व्यापारिक वस्ति थी जिसे वह भारत से बाहर भेजते थे.| डचों के द्वारा ही वस्त्र को निर्यात की वास्तु बनाया गया साथ ही मसलों की अपेक्षा वस्त्र के व्यापार पर अधिक ध्यान देते थें| तमिलनाडु का सदरपटनम तथा ड्रासपटनम वस्त्र उधोग के लिए प्रसिद्ध था और यहीं डचों का मुख्य व्यापारिक केन्द्र था तथा आंध्रप्रदेश का मसुलीपटनम नील के लिए प्रसिद्ध था|

डचों का पतन

1717 ईस्वी में उत्तर मुग़ल शासक फरुखाशियर ने अपने क्षेत्रों में अंग्रेजों को व्यापार करने का पूर्ण अधिकार प्रदान कर दिया जिससे डच कमजोर होने लगें| 1759 ई० में हुए वेदरा के युद्ध में डच, अंग्रेजों से बुरी तरह से पराजित हो गए, इस युद्ध में अंग्रेजी सेनापति कर्नल फोर्ड व गवर्नर क्लाइव था| अंततः 1805 ई० में अंग्रेजों में चिनसुरा और मल्लका के बदले सचों को सुमात्रा देकर भारत से बाहर कर दिया|

डच अन्य तथ्य –
  • डचों ने 1609 बैंक ऑफ़ एम्स्टर्डम तथा 1614 क्रेडिट बैंक ऑफ़ एक्सचेंज की स्थापना किया|
  • नागलवार्च तथा पाल्कोल्लू नील के लिए प्रसिद्ध था|
  • नागपट्टनम डचों का मुख्यालय था|
  • मसलों के लिए मालाबार तट से तथा सूती वस्त्र के लिए कोरमंडल तट प्रसिद्ध था|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *