भारत में अंग्रेजों का आगमन

भारत में अंग्रेजों का आगमन की शुरुआत 24 अक्टूबर 1579 ई० से ही हो गया था, हालाँकि इससे पहले भी अंग्रेज भारत आयें| भारत आनेवाले पहले अंग्रेज ‘थॉमस स्टीफेंस’ थे जोकि पुर्तगालियों के साथ एक पादरी के रूप में गोवा आयें| 1578 ई० में अंग्रेज नाविक ‘सर ड्रेक’ ने भारत से लिस्बन को जा रहे एक पुर्तगाली जहाज को लुटा तो अंग्रेजों को भारत के समृधि के बारे में ज्ञात हुआ| 10 वर्ष बाद, 1588 ई० में अंग्रेज स्पेन और पुर्तगाल (स्पेन और पुर्तगाल का विलय हो चूका था) के जलीय बड़े ‘आरमेडा’ को पराजित किया जिससे स्पेन और पुर्तगाल के शक्ति कमजोर हुई|

दूसरा अंग्रेज यात्री राल्फ फिंच अकबर के समय आया और सूरत सूरत में व्यापार हेतु फरमान प्राप्त करने के उद्देश्य से 1588 से 1591 ई० तक भारत में रहा| जॉन मिन्डेन्हाल 1599 ई० में स्थल मार्ग से भारत आने वाले पहले अंग्रेज था यह भी गुजरात में व्यापारिक फरमान प्राप्त करने के उद्देश्य से 7 वर्षों तक भारत में रहा|

अंग्रेजों का भारत आगमन

इंग्लैंड के 217 व्यापारियों ने मिलकर महारानी ‘एलिजाबेथ प्रथम’ के समक्ष्य पूर्व के देशों के साथ व्यापारिक अधिकार की मांग रखी| इन्ही व्यापारियों ने मिलर 24 सितंबर 1599 ई० को ‘अंग्रेज ईस्ट इण्डिया कम्पनी’ अथवा ‘द गवर्नर एण्ड कम्पनी ऑफ़ मर्चेन्ट्स ऑफ़ ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज’ की स्थापना की| ‘एलिजाबेथ प्रथम’ 31 दिसम्बर 1600 ई० को पूर्व के देशों के साथ व्यापार के लिए 15 वर्षों का अधिकारिक पत्र प्रदान की, इस पात्र को ‘चार्टर एक्ट’ कहा गया| ‘एलिजाबेथ प्रथम’ के मृत्यु के बाद इंग्लैंड के नए राजा ‘जेम्स प्रथम’ ने इस अधिकार को अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया हालाँकि इसमें यह भी प्रावधान था की 2 वर्ष पूर्व सुचना देकर व्यापारिक अधिकार को कभी भी समाप्त किया जा सकता है|

कम्पनी को सुचारू रुप से चलाने के लिए ‘बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर’ का गठन किया गया इसमें 217 में से केवल 26 सदस्यों को ही मान्यता मली| जिसमे एक ‘डायरेक्टर’ (निदेशक) और एक ‘सबडायरेक्टर’ (उपनिदेशक) शेष 24 इसके सदस्य थे| 1601 ई० में कम्पनी के कमांडर ‘जेम्स लेकेस्टर’ ने ‘रेड ड्रैगन’ नामक जहाज से यात्रा की और वह भारत की मुख्य भूमि ना आकर निकोबार द्वीप से सुमात्रा चले गए और वहाँ रहकर अपने आस-पास के क्षेत्रों में अपनी स्थिति को मजबूत किया| 1604 ई० में ‘हर्मुज बंदरगाह’ को अंग्रेजों ने पुर्तगालियों से युद्ध में छीन लिया|

कैप्टन हॉकिन्स

भारत आने वाला कम्पनी का प्रथम जहाज ‘हैक्टर’ था जिसे हॉकिन्स ने 24 अगस्त, 1608 को लेकर पहुँचा| तुरंत ही (1608 में) सूरत में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए हॉकिन्स जाहांगीर से मिलने आगरा गया, जहाँ वह तुर्की भाषा में बात की जिससे जहाँगीर प्रभाभित होकर अनुमति दे दी साथ ही जागीरें और 400 मनसब प्रदान की| हॉकिन्स को तुर्क के साथ-साथ फारसी भाषा का भी अच्छा ज्ञान था|

1608 ई० से अंग्रेजों ने सूरत में फैक्ट्री स्थापित करना प्रारंभ किया, किन्तु पुर्तगालियों के विरोध के कारण जहाँगीर ने इस अनुमति रद्द कर दी और अंग्रेजों को सूरत छोड़ने का आदेश दिया| इस प्रकार भारत में प्रथम अंग्रेजी फैक्ट्री 1608 ई० में सूरत में हुई किन्तु वैधानिक अनुमति प्राप्त प्रथम अंग्रेज फैक्ट्री मसुलिपटनम में स्थापित हुई थी|

कैप्टन मिलडन

हॉकिन्स के बाद मिलडन, पुर्तगालियों के विरोध के बाबजूद भी 1611 ई० में सूरत में अपना जहाज उतारने में सफल हुआ| अंग्रेजों के इस कदम के कारण नबम्बर 1612 ई० में अंग्रेजों और पुर्तगालियों के बीच युद्ध हुआ. जिसे सवाल्ली हॉल या स्वैली का युद्ध कहा जाता है| इस युद्ध में अंग्रेजों का नेतृत्व कैप्टन मिलडन ने किया था| युद्ध में पुर्तगालियों की पराजय हुई जिससे सूरत बंदरगाह पर पुर्तगालियों का एकाधिकार समाप्त हो गया| तब, 1613 ई० में जहाँगीर ने शाही फरमान जारी कर “टॉमस एल्डवर्थ” के नियंत्रण में अंग्रेजों को सूरत में व्यापारिक कोठी स्थापित करने की अनुमति दी|

सर टॉमस रो

भारत में मुगलों के साथ अच्छी संबंध स्थपित करने के लिए ब्रिटिश राजा ‘जेम्स प्रथम’ ने टॉमस रो को राजदूत के रूप में 18 सितंबर 1615 ई० को भारत भेजा| सर टॉमस रो पहले सूरत पहुँचा व जनवरी, 1616 ई० को अजमेर जाकर जहाँगीर से मिला| जहाँगीर ने टॉमस रो अपना राजदूत बनाकर अजमेर, मांडू और इलाहाबाद की दीवानी वसूलने के लिए भेज दिया| टॉमस रो मुग़ल साम्राज्य में व्यापार करने के लिए अनुमति प्राप्त करने में सफल रहा इससे पहले हॉकिन्स असफल रहा था| 1619 ई० टॉमस रो को वापस ब्रिटेन बुला लिया गया|

कारखाने

1632 ई० में गोलकुंडा के सुल्तान अब्दुल्ला कुतुबशाह ने 500 वार्षिक पैगोडा वार्षिक के बदले अंग्रेजों को ‘सुनहरा फरमान’ प्रदान किया जिससे अंग्रेजों को गोलकुंडा राज्य के सभी बंदरगाहों से व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया| 1639 ई० में फ्रांसिस डे नमक अंग्रेज ने चंद्रगिरी के राजा दरमेला वेंकटप्पा से मद्रास को पट्टे पर लिया, इसी स्थान पर 1641 ई० में अंग्रेजों ने ‘फोर्ट सेंट जोर्ज’ नामक किला बनाया जोकि अंग्रेजों द्वारा भारत में निर्मित प्रथम किला एवं प्रेसीडेंसी थी| फ्रांसिस डे को ही मद्रास का संस्थापक माना जाता है| 1623 ई० में सूरत, अहमदाबाद, भडोच, आगरा, अजमेर, मसुलिपट्टनम में छोटे-छोटे कारखाने लगाए गए और सूरत को इन सब का मुख्यालय बनाया गया|

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1651 ई० में एक अंग्रेजी सैन्य टुकड़ी ब्रिजमैन के नेतृत्व में बंगाल में गई, पर पुर्तगालियों यहाँ किसी भी प्रकार का विरोध नहीं किय अतः शाहशुजा से अनुमति लेकर 1652 ई० में हुबली (बंगाल) में अंग्रेजी कारखाना खोला बाद में कासिम बाजार, पटना व राजमहल में भी अंग्रेजी कारखाने खोले गए| पुर्तगालियों ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 1661 ई० में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन मेयो का विवाह चार्ल्स द्वितीय से हुआ व पुर्तगाल ने चार्ल्स द्वितीय को बम्बई दहेज़ के रूप में दे दिया जिसे 1668 ई० में चार्ल्स द्वितीय ने दस लाख पौंड की वार्षिक किराए पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दे दिया|

गेराल्ड औंगियार

गैराल्ड औंगियार 1669 -77 तक बम्बई का दूसरा गवर्नर रहा, इस कार्यकाल में इसने बम्बई नगर की स्थापना की अतः गैराल्ड औंगियार को बम्बई का संस्थापाक कहा जाता है| स्थापना के बाद 1687 ई० में अंग्रेजों ने अपनी मुख्य व्यापारिक राजधानी सूरत से हटाकर कर बम्बई ले आया लेकिन यहाँ मराठों से खतरा महसूस किया इस कारण बम्बई को किलेबंदी करने के लिए औरंगजेब से अनुमति मांगी| 

इंग्लैंड की क्रांति

1688 ई० में ब्रिटेन में क्रांति (इंग्लैंड की क्रांति) हुई, इस क्रांति में चार्ल्स द्वितीय की हार हुई उसके बाद बिलियम द्वितीय एवं मेयो को संयुक्त रूप से इंग्लैंड का राजा बनाया गया| क्रांति के बाद इंग्लैंड में संसद की स्थापना हुई और संसद की शक्ति ही सर्वोच्य मानी जाने लगी| बिलियम द्वितीय एवं मेयो ‘विंग्स पार्टी’ के नेता थे|

1694 ई० में इंग्लैंड की संसद में एक प्रस्ताव पारित कर इंग्लैंड की सभी लोगों को भारत के साथ व्यापार करने का अधिकार दे दिया गया| इससे 1698 ई० में अन्य ब्रिटिश कम्पनी बनी ‘इंग्लिश कम्पनी ट्रेडिंग इन टू थे ईस्ट’ एवं जनरल सोसाइटी ये दोनों कंपनियां भारत आई किन्तु नहीं चल पायी अंततः एक-एक सभी का ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रूप में विलय होता चला गया|

1690 ई० इब्राहीम खां ने अंग्रेजों को आमंत्रित कर ‘सुतानाती’ बुलाया, यहाँ पर जॉब चारनाक ने किले का निर्माण किया साथ ही इब्राहीम खां ने अंग्रेजों को यहाँ की जनता से कर वसूलने का भी अधिकार दे दिया| जिसका वर्धमान निवासी शोभा सिंह ने विद्रोह कर दिया किन्तु वहाँ की प्रजा ने इनका साथ नहीं दिया और इसे दबा दीया गया, उसके बाद ही सुतानाती में अंग्रेजों ने दुर्ग का निर्माण किया|

अजीमुशान ने कालिकोत्ता, गोविंदपुर तथा सुतानाती इन तीन जगहों से कर बसूलने का अधिकार दे दिया, जॉब चारनाक ने इन तीनों जगहों को मिलाकर 1699 ई० आधुनिक कोलकत्ता की स्थापना की व विलियम तृतये के नाम पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया|

कंपनी का मैग्नाकार्टा

1715 ई० में जॉन साइमन कमीशन के नेतृत्व में ब्रिटिश दूत मण्डल जिसके दो प्रमुख उद्देश्य थे|

  • कोलकाता के आस-पास के 38 गावों को प्राप्त करना|
  • बंगाल में टकसाल केन्द्र स्थापित करना

अपने उद्देशों को पूरा करने के इए मुग़ल शासक फरूखसियर में मिला, उस समय फरूखसियर गंभीर बीमारी से ग्रस्त था| डॉ एडवर्ड विलियम हैमिल्टन जोकि इसी प्रतनिधि मण्डल का सदस्य था उसने फरूखसियर का इलाज कर स्वस्थ किया| इससे खुश होकर फरूखसियर ने 1717 में शाही फरमान जारी कर 3000 रुपये की वार्षिक भुगतान पर पुरे बंगाल में तथा 10000 रुपये की वार्षिक भुगतान पर सूरत में भी कम्पनी को में कर मुक्त व्यापार का अधिकार दे दिया| साथ ही कोलकत्ता के 38 गावों को खरीदने व बंगाल में टकसाल स्थापित करने की अनुमति भी प्रदान की| इसके अलावे बम्बई के टकसाल में ढाले गई सिक्को को पूरी मुग़ल साम्राज्य में मान्यता दे दी| इसी फरमान को ब्रिटिश इतिहासकार ‘और्म’ ने कंपनी का मैग्नाकार्टा (महान अधिकार पत्र) कहा है|

इस फरमान के कारण सैय्यद बंधू फरूखसियर के विरुद्ध हो गए अतः 1717 ई० में मराठा पेशवा बालाजी विश्वनाथ से सहयोग माँगा और 1719 ई० में फरूखसियर को दृष्टिहीन (अँधा) कर दिया| अंतत लगभग 10 दिनों के बाद फरूखसियर हत्या कर दी गई| बंगाल के सुवेदार मुर्शिद कुली खां ने भी इस फरमान का विरोध किया किन्तु असफल रहा|

अन्य तथ्य –

  • लीवेंट कम्पनी 1593  ई० में भरात में व्यापार का अधिकार प्राप्त करने वाली पहली ब्रिटिश कम्पनी थी|
  • ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रारंभिक नारा था ‘भू-भाग नहीं, व्यापार’
  • पूर्वी तट पर पहला अंग्रेजी फैक्ट्री 1633 ई० में बालासोर व हरिहरपुरा में स्थापित हुआ|
  • दक्षिण में पहला अंग्रेजी फैक्ट्री 1611 ई० में मसुलिपटनम में स्थापित हुई|
  • फरंगी फारसी भाषा का शब्द है|
  • ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्यालय कलकत्ता था|
  • भारत में अंग्रेजों को लगान (कर) बसूलने का पहला अधिकार जहाँगीर ने दी|
  • फरूखसियर के फरमान को कम्पनी का मैग्नाकार्टा कहा जाता है|
  • ब्रिटिश ईस्ट कम्पनी की स्थापना अकबर के समय हुई किन्तु पहली अंग्रेजी फैक्ट्री जहाँगीर के समय स्थापित की गई|

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